ज़रा सोचिए आपको कैसा लगेगा यदि आधी रात को बेवजह आपके घर को चारों और से हज़ारों policemen द्वारा घेर लिया जाए और बिना सबूत , summon और रज़ामंदी के आपके 77 वर्षीय पिताजी को गिरफ़्तार कर लिया जाए और पूरी रात एयरपोर्ट पर एक लोहे की कुर्सी पर बिठाकर रखा जाए। फ़िर उनपर आरोप लगाया जाए एक नाबालिक लड़की के बलात्कार का ! वो भी उस पिता पर जो बचपन से धर्म तथा सत्य के मार्ग पर चलें हैं। जिन्होंने ईश्वर प्राप्ति की लालसा में अपना घर - बार सब त्याग दिया और कड़े अनुष्ठान और तपस्या के उपरांत 22 वर्ष की भरपूर युवावस्था में आत्म - साक्षात्कार कर लिया। एक बार उस जगह खुद को रखके देखिए और अपनी अंतरात्मा से पूछिए - " क्या आपके पिता ऐसी नीच हरकत कर सकते हैं ? " जवाब स्पष्ट सुनाई देगा - " बिलकुल नहीं " जी हाँ हम और किसी की नहीं संत आसारामजी बापू की बात कर रहे है । जिनको 1st sep 2013 से जोधपुर सेंट्रल जेल में रखा गया है। कोई ऐसा अत्याचार नहीं है जो उनपर न किया गया हो - TRIGEMINAL NEURALGIA जैसी भयानक बिमारी से पीड़ित होने के बावजुद 5 महीनों तक वो अस असहनीय पीड़ा में तड़पते रहे पर उ...
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